गीतिका (आँखें)
*गीतिका*(आँखें)
देखें सदा सुंदर मंज़र,ये आँखें,
नहीं देख पातीं भयंकर,ये आँखें।।
विमल नभ में बिखरी आभा से मंडित,
प्यारा सा देखें सुधाकर,ये आँखें।।
पर्वत से झर-झर उतरते जो झरने,
निहारें उन्हीं को बराबर,ये आँखें।।
गोरी को देखें बिना रोके-टोके,
सदा दिव्य देवी बनाकर,ये आँखें।।
दीवानगी इनकी समझ में न आती,
उठातीं कभी तो गिराकर, ये आँखें।।
धोती सदा दागे-नफ़रत को रहतीं,
सहज प्रेम-आँसू बहाकर, ये आँखें।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
आँचल सोनी 'हिया'
18-Apr-2023 12:18 AM
Bahut khoob
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Renu
25-Mar-2023 06:00 PM
👍👍💐
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ऋषभ दिव्येन्द्र
23-Mar-2023 01:36 PM
एकदम कमाल 👌👌
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